sahjan ki kheti :- किसान भाइयों यदि आप भी किसी खेती से जुड़े किसी ऐसे बिज़नेस की तलाश में हैं जिसमें कमाई अधिक हो और लगत कम हो. आज हम आपके लिए एक बेहतरीन बिज़नेस की जानकारी लेके आये हैं। सहजन की खेती से आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। गाँव में सहजन को सिर्फ सब्जी के तौर पर खाते हैं। असलियत में उसके कई सारे फायदें हैं। और इससे कई सारे प्रोडक्ट बना कर लोग लाखों की कमाई कर रहे हैं। सहजन के फल के अलावे इसकी पत्तियाँ भी बहुत फायदेमंद है कई बिमारियों में इसका उपयोग किया जाता है।
सहजन की खेती | sahjan ki kheti in hindi
सहजन, जिसे मोरिंगा या ड्रमस्टिक के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा पौधा है जिसकी पूरी दुनिया में जबरदस्त मांग है। इसके पत्तों और फलियों में औषधीय गुण होते हैं, जो इसे बाजार में बेहतरीन कीमत दिलाते हैं। यदि आप सहजन की खेती (moringa ki kheti) करते हैं, तो आपको इसका थोक भाव 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम आसानी से मिल सकता है। इसीलिए, सहजन की खेती किसानों के लिए एक बेहद लाभकारी सौदा साबित होती है।
सहजन की खेती के प्रमुख राज्य
भारत में सहजन की खेती लगभग हर राज्य में सफलतापूर्वक की जाती है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, और राजस्थान जैसे राज्यों में इसका उत्पादन सबसे अधिक होता है। भारत के कुल सहजन उत्पादन का 80% सिर्फ तमिलनाडु राज्य से होता है। इन राज्यों की विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के बावजूद, किसान सहजन की खेती में सफल होते हैं, जो दर्शाता है कि इसे भारत के कई हिस्सों में उगाया जा सकता है।
सहजन की खेती के लिए अनुकूल तापमान
सहजन की खेती के लिए न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 47 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। यह एक सहनशील पौधा है, जो अधिक और न्यूनतम तापमान को सहन कर लेता है। इसलिए, इसे भारत के अधिकतर राज्यों में उगाया जा सकता है।
सहजन की किस्मों का चुनाव
सहजन की देशी किस्मों से उत्पादन प्राप्त करने में 4 से 5 साल का समय लग सकता है, जबकि वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए तैयार की गई किस्मों से 6 महीने के भीतर उत्पादन मिलने लगता है और साल में दो बार फसल प्राप्त होती है। कुछ प्रमुख वाणिज्यिक किस्में हैं: PKM-1, PKM-2, और ODC-3।
ODC-3 किस्म पर 2012 से India AGREE Form द्वारा रिसर्च की जा रही थी, और 2017 में इसे बाजार में उतारा गया। आप इनमें से किसी भी किस्म का चुनाव कर सकते हैं।
sahjan ki kheti in hindi | सहजन की पौधारोपण विधि
सहजन का पौधारोपण मानसून के सीजन (जुलाई-अगस्त) में करना सबसे उचित होता है। पौधे की लाइन से लाइन की दूरी 12 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 5 फीट रखें। सहजन के बीज का उपचार Carbendazim 50% से 5 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से करें, और फिर नर्सरी तैयार करें।
जैविक खेती और सिंचाई
सहजन की खेती को पूरी तरह से जैविक किया जा सकता है। इसके लिए वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें। सहजन के पौधों पर कीट और रोगों का अटैक कम होता है, लेकिन अगर इल्लियों का अटैक हो, तो नीम तेल का छिड़काव करें। गर्मियों में हर 10 दिन पर और सर्दियों में 20 से 25 दिन पर सिंचाई करें।
सहजन की फसल से उत्पादन और आय
ट्रांसप्लांटिंग के 4 से 5 महीने बाद फूल आना शुरू होते हैं और 6 से 7 महीने बाद फलियां बनने लगती हैं। सहजन की फसल से साल में दो बार उत्पादन मिलता है – पहली बार फरवरी-मार्च में और दूसरी बार सितंबर-अक्टूबर में। फरवरी-मार्च में इसका बाजार भाव 30 से 100 रुपये प्रति किलो तक होता है, जबकि सितंबर-अक्टूबर में 20 से 30 रुपये प्रति किलो होता है।
सहजन से दोहरी आमदनी |sahjan ki kheti se income
सहजन के पौधे से आप न केवल फलियों से बल्कि पत्तियों से भी कमाई कर सकते हैं। इसकी पत्तियों की टेबलेट बनती है, जिसे सुपरफूड कहा जाता है, जो कुपोषण को दूर करने में सहायक है।
सहजन के एक पौधे से 1000 से 2500 रुपये तक की आमदनी की जा सकती है। यदि आप 20 पौधे लगाते हैं, तो आप 10,000 से 25,000 रुपये तक कमा सकते हैं, वह भी बिना किसी ज्यादा लागत के।
सहजन की खेती के फायदे
उच्च बाजार मांग
सहजन (मोरिंगा) की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारी मांग है, जो इसके पोषक और औषधीय गुणों के कारण है। इस उच्च मांग के कारण किसानों को अच्छी कीमत मिलती है, जिससे यह एक लाभकारी फसल बनती है।
त्वरित लाभ
कई अन्य फसलों के विपरीत, सहजन की खेती कम समय में उत्पादन देती है, जिससे किसानों को जल्दी मुनाफा मिलता है। बीज बोने के 6 महीने के भीतर ही फसल तैयार हो जाती है।
कम लागत
सहजन की खेती में लागत बहुत कम आती है। इसे सूखा सहन करने वाली फसल माना जाता है, इसलिए इसे बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसके अलावा, कीटनाशकों और उर्वरकों पर खर्च भी कम होता है।
स्वास्थ्य लाभ
सहजन के पत्तों और फलियों में कई औषधीय गुण होते हैं, जो इसे एक सुपरफूड बनाते हैं। इसका उपयोग पोषण की कमी को दूर करने में किया जाता है, जिससे इसकी मांग और भी बढ़ जाती है।
बहुउद्देशीय उपयोग
सहजन के पौधे से न केवल फलियाँ बल्कि पत्तियाँ भी बेची जा सकती हैं, जिससे किसान दोहरी आमदनी कमा सकते हैं। इसके पत्तों से पाउडर और टैबलेट भी बनते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खेती संभव
सहजन का पौधा विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छी तरह से उगाया जा सकता है। यह अत्यधिक तापमान और शुष्क मौसम में भी जीवित रह सकता है, जिससे इसे भारत के लगभग सभी हिस्सों में उगाया जा सकता है।
साल में दो बार उत्पादन
सहजन की फसल से साल में दो बार उत्पादन होता है, जिससे किसानों को नियमित रूप से आय मिलती रहती है। फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर में इसकी कटाई की जाती है।
पर्यावरण के लिए फायदेमंद
सहजन के पेड़ पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होते हैं। ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जिससे पर्यावरण संतुलित रहता है।
किसान भाइयों आप भी सहजन की खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। खेती और खेती से जुड़े योजना ,बिज़नेस आईडिया के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहे हैं। यहाँ आपको सभी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
साराँश
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