jhinga machli palan yojana haryana 2025 :- खेती अब पूरी तरह से कमाई का अच्छा स्रोत बन गया है। हलांकि इसके लिए किसानों को आधुनिक और नए तरीकों से खेती करने की आवश्यकता है। अब किसान खेती किसानी के साथ-साथ मत्स्य पालन से जुड़ कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। किसान अब झींगा मछली पालन पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए कम पानी के साथ साथ बहुत ही कम जमीन की आवश्यकता होती है। राज्य में झींगा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को झींगा पालन पर सब्सिडी दिया जा रहा है।
हरियाणा में मत्स्य पालन विभाग की बैठक
jhinga machli palan yojana hariyana :- हरियाणा के मत्स्य पालन मंत्री श्री श्याम सिंह राणा ने 23 जुलाई को मत्स्य विभाग की समीक्षा बैठक की। इस बैठक का मुख्य मुख्य उद्देश्य था किसानों को आधुनिक खेती और नए कृषि प्रणाली की और प्रेरित करना। उन्हें खेती के साथ मत्स्य पालन के लिए समुचित सुविधा उपलब्ध हो।
बैठक में निम्न बिंदुओं पर जोर दिया गया:
- किसानों को कम भूमि में अधिक लाभ वाली गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना
- झींगा पालन को बढ़ावा देना
- मत्स्य पालन से जुड़ी योजनाओं का विस्तार
- किसानों से संवाद कर योजनाएं तैयार करना
झींगा पालन के लिए उत्कृष्टता केंद्र
मत्स्य मंत्री ने किसानों को झींगा मछली पालन के लिए सभी जानकारी एक जगह पर उपलब्ध हो, इसके लिए हिसार और भिवानी जिलों में झींगा मछली पालन के उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए।
उत्कृष्टता केंद्र स्थापित के जरिए किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और बीज/भोजन सामग्री मुहैया उपलब्ध कराया जायेगा।
सेमग्रस्त लवणीय जल भूमि
हरियाणा के कई जिले जिसमें चरखी दादरी, भिवानी, फतेहाबाद, हिसार, रोहतक आदि पूरी तरह से सेम ग्रस्त हैं, जिसकी वजह से यहाँ फसल उत्पादन बेहद कठिन है। इन क्षेत्रों में किसानों को झींगा पालन योजना के जरिए कमाई का रास्ता बनाया जा रहा है।
✅ इसके लाभ:
- अनुपयोगी भूमि का उपयोग
- लवणीय पानी का उपयोग कर आय सृजन
- झींगा पालन के लिए उपयुक्त जलवायु
- सेममुक्त क्षेत्र की प्राप्ति
झींगा पालन बनाम परंपरागत खेती
विषय | परंपरागत खेती | झींगा पालन |
---|---|---|
भूमि आवश्यकता | अधिक (एकड़ में) | कम (0.5 से 1 एकड़) |
लागत | मध्यम से अधिक | प्रारंभ में अधिक |
आय | सीमित | 3 से 4 गुना अधिक |
जल आवश्यकता | अधिक | सीमित, पुनः उपयोग |
जोखिम | मौसम पर निर्भर | नियंत्रित परिवेश में संभव |
💰 सब्सिडी और वित्तीय सहायता
हरियाणा सरकार द्वारा झींगा पालन को प्रोत्साहित करने हेतु किसानों को भारी सब्सिडी दी जा रही है।
श्रेणी | सब्सिडी प्रतिशत |
---|---|
सामान्य वर्ग के किसान | 40% |
महिला / अनुसूचित जाति | 60% |
मंत्री ने निर्देश दिया कि इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार हो ताकि अधिक किसान इससे लाभ उठा सकें।
📦 झींगा पालन के लिए आवश्यक चीजें:
- सेमयुक्त लवणीय पानी की उपलब्धता
- तालाब का निर्माण
- बीज (प्ल) और चारा सामग्री
- ऑक्सीजन और पीएच मॉनिटरिंग उपकरण
- प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता (सरकारी केंद्रों से)
📈 संभावित आय का अनुमान (1 एकड़ तालाब आधारित)
लागत/आय तत्व | अनुमानित राशि (₹) |
---|---|
तालाब निर्माण | 1,00,000 |
बीज व चारा सामग्री | 70,000 |
दवाएं व निगरानी उपकरण | 20,000 |
श्रम | 30,000 |
कुल लागत | 2,20,000 |
संभावित उत्पादन (700-800 किग्रा) | ~5,00,000 |
कुल लाभ | ~2,80,000 |
📣 मत्स्य पालन से जुड़े सरकारी प्रोत्साहन:
✅ क्या कह रहे हैं किसान?
राजेंद्र कुमार (चरखी दादरी):
“मेरी जमीन सेमयुक्त थी, खेती नहीं हो रही थी। सरकार से सब्सिडी लेकर झींगा पालन शुरू किया। पहली ही फसल में ₹2.5 लाख का शुद्ध लाभ हुआ।”
संतोष देवी (भिवानी):
“मैंने महिला होने के कारण 60% सब्सिडी पाई। अब गांव की 4 और महिलाएं मेरे साथ जुड़कर झींगा पालन कर रही हैं।”
📌 निष्कर्ष:
हरियाणा सरकार का यह प्रयास सेमग्रस्त भूमि को फिर से उत्पादक बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। झींगा पालन न केवल किसानों को अच्छी आमदनी देने में सक्षम है, बल्कि यह क्षेत्रीय रोजगार, निर्यात और खाद्य सुरक्षा की दिशा में भी प्रभावी साबित हो सकता है।
झींगा पालन के लिए कितनी भूमि चाहिए?
0.5 से 1 एकड़ भूमि पर्याप्त है।
झींगा पालन के लिए किस प्रकार की भूमि उपयुक्त है?
सेमयुक्त या लवणीय जलयुक्त भूमि उपयुक्त मानी जाती है।
क्या महिलाओं को अधिक सब्सिडी मिलती है?
हां, महिलाओं को 60% तक सब्सिडी दी जाती है।
कहां से प्रशिक्षण लिया जा सकता है?
हिसार, भिवानी में प्रस्तावित उत्कृष्टता केंद्रों से प्रशिक्षण मिलेगा।
ऐसे क्षेत्रों में झींगा पालन के लिए पूरी जानकारी कहाँ मिलेगी?
जिला मत्स्य पालन अधिकारी या मत्स्य विभाग की वेबसाइट से जानकारी लें।
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